बप्पी लाहिड़ी का निधन,हिंदी संगीत जगत का एक और सितारा हुआ पंचतत्व में विलीन
अभी बीते 6फरवरी को संगीत जगत की सुर कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर जी को हमने खोया ही था। कि डिस्कोकिंग के नाम से मशहूर बप्पी लहरी के निधन की खबरे आने लगी। अभी हम लता जी के जाने के गम से अभी उबरे भी नही थे ।पिछले 10दिनों में हमने संगीत जगत की 2महान हस्तियों को हमेशा के लिए खो दिया।पूरा देश इनकी मृत्यु से स्तब्ध है।
विश्व को दे गए संगीत की बहुमूल्य धरोहर
बप्पी लाहिड़ी जो बप्पी दा के नाम से मशहूर थे,का जन्म 29नवंबर 1952 को जलपाईगुड़ी में हुआ था।उनका असली नाम अलोकेश लाहिड़ी था।उनको संगीत की शिक्षा उनके घर से ही मिली थी।उनके पिता अपरेश लाहिरी और माता बासुरी लाहिरी शास्त्रीय और श्यामा संगीत के गायक और संगीतकार थे।
4साल की उमर में पहली बार किया तबला वादन
बप्पी दा के घर का माहौल बहुत ही संगीतमय था ।जिसका इनपे गहरा प्रभाव पड़ा।और उन्होंने महज 4साल की उम्र में ही तबला वादन शुरू कर दिया।
14साल की उम्र में पहला गाना कंपोज किया
बप्पी दा ने बंगाली फिल्म दादु से अपने से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उस समय उनकी उम्र महज 14साल थी।इसी बात से उनके संगीत के प्रति प्रेम का अंदाजा लगाया जा सकता है।और बॉलीवुड में उनकी शुरुआत नन्हा शिकारी नामक फिल्म से हुई।
डिस्को म्यूजिक को घर घर में लोकप्रिय बनाया
बप्पी दा के आने के पहले डिस्को म्यूजिक को लोग पश्चिमी संगीत का वो हिस्सा समझते थे जो हम भारतीयों के लिए नही था।लेकिन बप्पी दा ने ’जिम्मी जिम्मी जिम्मी आजा आजा आजा’ गाने से डिस्को म्यूजिक को लोगो को दीवाना बना दिया।उनका संगीत एक नए दौर का रास्ता प्रशस्त कर रहा था।जिस पर चलकर कई संगीतकारों ने म्यूजिक इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
बप्पी दा को सोने के गहनों से बेहद लगाव था
बप्पी दा अपने म्यूजिक की वजह से तो प्रसिद्ध थे ही ।उनका सबसे अलग व्यक्तित्व और पहनावा भी इनको भीड़ से अलग रखता था।बप्पी दो को सोने से बनी आभूषणों से बहुत लगाव था।वो हमेशा सोने की एक नही बल्कि कई मोटी मोटी चेन पहनते थे।और हाथो मे गोल्ड के हेवी ब्रेसलेट पहनते थे।वो चलती फिरती गोल्ड की दुकान कहे जाते थे।
बॉलीवुड की फिल्मों को दिया सुपरहिट म्यूजिक
बप्पी दा ने बॉलीवुड की सुपर हिट फ़िल्मों में म्यूजिक दिया है । उनमें से कुछ फिल्में डिस्को डांसर,आज का अर्जुन,नाका बंदी,हिम्मतवाला, रॉक डांसर,आग का गोला आदि थी।
गंभीर बीमारियों से थे पीड़ित
69की उम्र में बप्पी दा का निधन गंभीर बीमारियों की बज से हुआ।उनको ऑब्सट्रक्टिव स्लीप येपनिया और रिकरेंट चेस्ट इन्फेक्शन था जिससे वे लंबे समय से पीड़ित थे ,जिसका इलाज मुंबई के क्रिटीकेयर हॉस्पिटल से इलाज चल रहा था।निधन से ठीक एक दिन पहले 15फरवरी को उनके ठीक होने के बाद उनको डिस्चार्ज कर दिया गया था ।पर अचानक रात में 11:45बजे उनकी हालत फिर से बिगड़ी ।और तभी उन्होंने अंतिम सांस ली।
कई प्रसिद्ध पुरस्कार थे उनके नाम
बप्पी दा को उनके जीवन काल में उनके बनाए गए जादुई संगीत के लिए समय समय पर कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।उनको 1985में शराबी फिल्म के लिए फिल्मफेयर अवार्ड फॉर बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का,2012 मेंडर्टी पिक्चर के सॉन्ग ऊ लाला ऊ लाला के लिए गीमा अवार्ड फॉर मोस्ट पॉपुलर रेडियो सॉन्ग ऑफ द ईयर,और 2018 में लाइफटाइम फिमफरे अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया था।
नम आंखों से दी उनके चाहने वालो ने उनको अंतिम विदाई
17फ़रवरी को बप्पी दा को उनके चाहने वालों ने अंतिम विदाई दी ।उनके अंतिम दर्शन करने के लिए बॉलीवुड के नामचीन लोगो का जमावड़ा लगा रहा।बप्पी दा के बेटे बप्पा दा ने उनको मुखाग्नि दी।और संगीत जपगप्त कप इतना बड़ा सितारा हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया।